Sunday, May 25, 2014

the principle of life ! जीवन सूत्र

जिन लोगों के दिमाग तेज होते है वे आईडिया पर बात करते है।  जिनके दिमाग ओसत होते है वे घटनाक्रम पर।  और जिनके दिमाग ओसत से भी नीचे होते है वे लोगों के बारे में बात करते है। अगर हम आईडिया पर बात करते है तो तेजी से  तरक्क़ी  होती है. और लोगों के बारे में फिजूल चर्चाओ में लगे रहते है तो काम का बेडा गर्क हो जाता है ।हम क्या करना चाहते है   और क्या हासिल करना चाहते है , यह हम पर ही निर्भर करता है।

people with sharp mind talk about ideas. people who have average mind , talks about sequence of events . and the people , who have below average mind  talks about the peoples. if we focus on idea we make ourselves splendor . if we remain indulge in gossips then we destroy everything around us .what we want to do or achieve is all depend on us . 
                                                                                                                              ( compiled )

Wednesday, March 23, 2011

बिल गेट्स बिहार के दौरे पर .....

दुनिया के दूसरे सबसे अमीर कारोबारी और माइक्रोसॉफ्ट के संस्थापक बिल गेट्स और उनकी पत्नी मेलिंडा गेट्स तीन दिन के भारत दौरे पर हैं.

भारत दौरे के पहले दिन गेट्स दम्पती ने स्वास्थ्य मंत्री ग़ुलाम नबी आज़ाद से मुलाक़ात की और देश में स्वास्थय सेवाओं को बेहतर बनाने और पोलियो तथा एड्स के उन्मूलन पर चर्चा की.

इस यात्रा के दौरान बिल और मेलिंडा गेट्स का ध्यान बिहार पर केंद्रित होगा. गेट्स दम्पती बुधवार पटना जिले के जमसौत गांव का दौरा कर वहां की स्वास्थ्य सेवाओं का जायज़ा ले रहे हैं.

बिहार का स्वास्थ्य क्षेत्र भारत के और राज्यों के मुक़ाबले बेहद कमज़ोर माना जाता है.

बिहार का हाल

मेलिंडा गेट्स ने दिल्ली में हुए एक सम्मेलन में नवजात शिशुओं और माताओं के स्वास्थ्य सुधार पर ज़ोर दिया.

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार भारत में 55 प्रतिशत बच्चे कुपोषण का शिकार होते हैं, और ये आंकड़ा बिहार में भी लगभग इतना ही है. इसके अलावा काला अज़ार, खसरा और टीबी जैसी बीमारियां बिहार में चरम पर हैं.

साल 2010 में बिल गेट्स ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ एक क़रार किया था, जिसके तहत राज्य में पोलियो, काला अज़ार, टीबी और कुपोषण जैसी बीमारियों से लड़ने के लिए गेट्स की परोपकारी संस्था ने 8 करोड़ डॉलर की राशि प्रदान की थी.

इस भागीदारी का उद्देश्य अगले पांच वर्षों में बच्चों और माताओं के मृत्यु दर में 40 प्रतिशत तक की गिरावट लाना होगा.

अपने एक दिन के बिहार दौरे के दौरान बिल और मेलिंडा गेट्स जमसौत में स्वास्थय कर्मियों और कुछ गर्भवती महिलाओं से उनके अनुभव और चुनौतियों के बारे में बातचीत करेंगें.

बिहार में मातृत्व मृत्यु दर देश में सबसे ज़्यादा है.

बिहार यात्रा के दौरान बिल गेट्स राज्य सरकार के साथ हुई 8 करोड़ डॉलर की भागीदारी की प्रगति का जायज़ा भी लेंगें.

परोपकारी संस्था बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन की सह-संस्थापक मेलिंडा गेट्स ने मंगलवार को दिल्ली में एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए नवजात शिशुओं और माताओं के स्वास्थ्य सुधार पर ज़ोर दिया.

मेलिंडा का कहना था कि बेहतर तकनीक के इस्तेमाल और उसके सस्तीकरण से भारत में माताओं और नवजात शिशुओं का जीवन बचाया जा सकता है.

दशक टीकाकरण

बिल गेट्स ने इस दशक को ‘टीकाकरण के दशक’ का नाम दिया है

बिल गेट्स ने इस दशक को ‘टीकाकरण के दशक’ का नाम दिया है जिसके ज़रिए विश्व भर में खसरा, पोलियो और हैजा जैसी बीमारियों से लड़ने के लिए बच्चों को टीके लगाए जाएंगें.

साथ ही इस साल बिल गेट्स का ध्यान पोलियो को जड़ से ख़त्म करना होगा.

भारत सरकार ने पोलियो उन्मूलन मुहिम में पिछले दो सालों में अच्छी प्रगति दर्ज की है. जहां 2009 में भारत में 714 पोलियो के केस थे, वहीं 2010 में पाया गया कि भारत में केवल 41 पोलियो के केस बचे हैं.

ग़ौरतलब है कि बिहार में पिछले छह महीनों में एक भी पोलियो का केस सामने नहीं आया है. हांलाकि काला अज़ार, टीबी, खसरा और मलेरिया के आंकड़ों में ऐसी प्रगति देखने को नहीं मिली है.

पोलियो उन्मूलन मुहिम

पोलियो उन्मूलन के लिए गेट्स फाउंडेशन, रोटरी इंटरनैश्नल और विश्व स्वास्थ्य संगठन जैसी संस्थाएं मिलकर एक मुहिम चला रही हैं.

विश्व भर में पोलियो के कुछ 1300 के क़रीब केस हैं, और ये केस केवल भारत, पाकिस्तान, अफ्ग़ानिस्तान और नाइजीरिया में पाए गए हैं.

विश्व भर में पोलियो का 99 प्रतिशत खात्मा हो चुका है और आख़िरी 1 प्रतिशत को जड़ से मिटाने के लिए गेट्स फाउंडेशन, रोटरी इंटरनैश्नल और विश्व स्वास्थ्य संगठन जैसी संस्थाएं मिलकर एक मुहिम चला रही हैं.

अगर पोलियो को अगले कुछ सालों में जड़ से ख़त्म कर देने में कामयाबी हासिल होती है, तो चेचक के बाद ये दूसरी बीमारी होगी जो विश्व भर से हमेशा के लिए मिट जाएगी.

विश्व टीबी दिवस यानि 24 मार्च को बिल गेट्स दिल्ली के लाला रामस्वरुप टीबी अस्पताल का दौरा करेगें, जिसके बाद वे विज्ञान और तकनीक मंत्री कपिल सिब्बल से मुलाक़ात करेंगें.

इस बैठक में बिल गेट्स टीबी के लक्षणों का जल्द पता लगाने के लिए नई तकनीक के इस्तेमाल पर चर्चा करेंगें.

भारत में हर साल क़रीब 20 लाख टीबी के केस सामने आते हैं, और आंकड़ों के अनुसार हर तीन मिनट में दो भारतीय मरीज़ टीबी की मौत का शिकार होते हैं.

गेट्स फाउंडेशन भारत में स्वास्थ्य क्षेत्र के सुधार के लिए अब तक एक अरब डॉलर की राशि दे चुका है.


साइट लिंकबीबीसी लिंक
© MMXI

Tuesday, March 8, 2011

ईच्छा मृत्यु !!

अरुणा शानबाग मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने लेखिका पिंकी वीरानी की यह अर्ज़ी नामंज़ूर कर दी कि अरुणा की हालत को देखते हुए उनकी मौत की अनुमति दी जाए.

अरुणा जिस अस्पताल में पिछले 37 साल से बिस्तर पर हैं वहाँ के डॉक्टरों और नर्सों ने इस फ़ैसले का यह कहते हुए स्वागत किया कि वे आजीवन अरुणा की देखभाल करने के लिए तैयार हैं.

अरुणा इस पर कोई प्रतिक्रिया ज़ाहिर करने की स्थिति में नहीं हैं. यानी उन्हें ज़िंदा रखने या न रखने की बहस में उनका कोई योगदान नहीं है..

अब अरुणा के दिल की हालत कौन समझे. कहते हैं हरेक को जान प्यारी होती है और कोई भी मरना नहीं चाहता.

तो साथ ही यह भी सुना है कि हे ईश्वर, ऐसी ज़िंदगी से तो मौत भली.

अरुणा किस मनोदशा से गुज़र रही हैं यह वह ही जानती हैं.

एक तरह से इच्छा मृत्यु के विरोधियों का तर्क सही है कि अगर एक बार इसकी अनुमति दे दी गई तो ऐसे मामलों का अंबार लग जाएगा और यह तय करना मुश्किल हो जाएगा कि किसमें पीड़ित व्यक्ति की सहमति है और किसमें उसके तीमारदारों का फ़ायदा.

लेकिन इसके साथ ही इस बात को भी झुठलाया नहीं जा सकता कि टर्मिनल इलनेस यानी लाइलाज बीमारी से जूझ रहे और असहनीय पीड़ा भुगत रहे रोगी को कृत्रिम मशीनों के ज़रिए जीवित रखना कितना मानवीय है.

यह एक ऐसा मामला है जिस पर लोग बोलने से कतराते हैं.

ज़रूरत है एक राष्ट्रव्यापी बहस की जिसमें सबको अपनी राय रखने का मौक़ा मिले.

Wednesday, March 2, 2011

नोबेल ?

नोबेल प्राइज मिल जाने का यह मतलब नहीं है की जिस शख्स को यह पुरूस्कार मिला है वह 'मन ' और ईमान से भी नोबेल है . बंगला देश के मोहमद युनुस जिन्हें २००६ में मैक्रो -इकोनोमिक्स में उनके प्रयोगों(ग्रामीण बेंक) के लिए इस पुरूस्कार से नवाजा गया था . अब खबर आई है कि उन्हें बेंक के प्रबंध निदेशक के पद से हटा दिया गया है .कारण महज इतना है कि उन पर करोडो रुपयों कि हेराफेरी का आरोप लगा है .

बांग्लादेश के कंद्रीय बैंक ने कहा है कि 70 वर्षीय मुहम्मद युनूस को इसलिए हटाया गया क्योंकि वे 60 साल की उम्र के बाद भी ग्रामीण बैंक के प्रबंध निदेशक बने रहे.मुहम्मद यूनुस बांग्लादेश सरकार के आलोचक रहे हैं. सरकार की अब ग्रामीण बैंक में 25 फ़ीसदी हिस्सेदारी है.

Monday, February 28, 2011

अंतिम कर्नल !!



अगर 7 जून 2011 तक गदाफी सत्ता में बने रहे तो वे 69 वसंत देख चुके होंगे .1969 में किंग इदरिस को हटा कर सत्ता काबिज करने की 41 वी वर्षगाँठ भी मना लेंगे.यह उपलब्धि उन्हें इतिहास में सबसे ज्यादा समय तक शासन करने वाले व्यक्ति के रूप स्थापित कर देगी . भले ही दुनिया उन्हें सनकी तानाशाह के नाम से पुकारे. प्रस्तुत हे उनके और उनके परिवार के बारे में कुछ जानकारी -
गद्दाफी को उंचाई से डर लगता है .पेंतीस सीडियो से ज्यादा वे चढ़ नहीं सकते .
अपनी दो (वेध ) पत्नियों से उनके आठ बच्चे है. सबसे बड़े पुत्र लीबियाई ओलिम्पिक कमिटी के चेयर मेन है. साथ ही देश की सबसे बड़ी शीतल पेय कंपनी में चालीस फीसदी की हिस्सेदारी रखते है. समय समय पर देश के टेलीग्राफ और दूरसंचार के मामले में भी उनका दबदबा चलता रहता है .अमरीका की मशहूर गायिकाओ , मरिया केरी और बेयोसी के कार्यक्रम अपने देश में कराकर लाखों डॉलर फूंक चके है.
एक बेटी ने कानून की पदाई की है और काफी समय तक सद्दाम हुसैन की सुरक्षा सलाहकार रह चुकी है . फिलहाल सेना में लेफ्टिनेंट के पद पर है. जर्मन अभिनेत्री क्लाडिया शिफर से उनकी शक्ल मिलती जुलती. यूरोप में उनकी खुद की काफी जान पहचान हे. लिहाजा अपने पिता को विदेशी मामलो में मशवरा देती रहती है . अपने पिता की लाडली संतान है .
गद्दाफी की सुरक्षा का जिम्मा चालीस यूवा महिलाओ का दस्ता सम्हालता है . सभी की उम्र पच्चीस से तीस के बीच है. इनका चुनाव बाकायदा दो साल के कड़े कालेज प्रशिक्षण के बाद किया जाता है. अधिकाँश महिलाए यूक्रेन , ब्रिटेन , और जर्मनी की है. इन्हें मरने-मारने
की शपथ दिला कर ही सुरक्षा की जवाबदारी सोंपी जाती है .
गद्दाफी को समुद्र से भी डर लगता है. उनकी अधिकाँश हवाई यात्राए जमीन के ऊपर वाले इलाके से हो कर ही गुजरती है. अगर समुद्र के ऊपर से गुजरना भी पड़े तो ऐसा रूट तय किया जाता है जब आठ घंटे से ज्यादा हवाई जहाज को समुद्र के ऊपर न रहना पड़े .
गद्दाफी की निजी सहायिका युक्रेन निवासी' गलीना कोलोत्निसका ' जिसके बारे में विकिलीक्स ने अपने केबल में लिखा था- गद्दाफी भूरे बालों वाली लड़की से प्रेम करते है, हाल ही में ब्रिटिश एयरवेज के विमान से स्वदेश लोटती देखी गई थी .
उडती उडती खबर - गद्दाफी ने इंग्लॅण्ड के एक बेंक में 21878 करोड़ डॉलर जमा कराये है और सोने के बिस्किट से लदा एक विमान जिम्बाब्वे भेजा है . वंहा के तानाशाह शासक रॉबर्ट मुगाबे गद्दाफी के परम मित्र है . एक दफे इन दोनों ने सारे अफ़्रीकी देशों को मिलाकर 'एक अफ़्रीकी 'राष्ट्र बनाने का सपना देखा था . जिसमे मुगाबे को प्रधानमंत्री बनना था और गद्दाफी को राष्ट्रपति .

Thursday, February 24, 2011

क्या हमारी तरफ ध्यान देंगे मि. टेड टर्नर ?


मुझे आश्चर्य है कि टेड टर्नर को भारत में अपनी -सिर्फ क्लासिक 'ब्लेक एंड व्हाइट फिल्म दिखने वाली चेनल TNT के भारतीय संस्करण को लांच करने का ख्याल अभी तक क्यों नहीं आया ? टेड टर्नर 'टाइम वार्नर इंक' CNN न्यूज चेनल, और 'वार्नर ब्रदर ' के भी मालिक है. यूँ तो TNT पिछले पंद्रह सालो से भारत में(अमेरिकन क्लासिक)फिल्मे प्रसारित कर रहा है, परन्तु जिस तरह से उन्होंने TNT के 'स्पेनिश ' और 'तुर्की' संस्करण जारी किये है और कई यूरोपीयन संस्करणों पर काम जारी है वेसी ही गुंजाइश भारत में भी है .
भारत में प्रति वर्ष एक हजार से ज्यादा फिल्मे बनती है और पहली बोलती फिल्म आलम -आरा से लेकर 'ब्लेक एंड व्हाइट फिल्मो के पुरे दौर में बेहतरीन क्लासिक और यादगार फिल्मे बनी है.परन्तु उचित रख रखाव के आभाव में अधिकाँश फिल्मो के प्रिंट नष्ट होने का कगार पर है. फिल्मो के प्रिंट की अधिकतम उम्र 70 -80 बरस होती है, गर उन्हें दो डिग्री सेल्सियस और चोवीस डिग्री आन्द्रता में संरक्षित किया जाए तब .
दूसरी तरफ पुराने संगीत को संरक्षित करने में ज्यादा प्रयास नहीं करना पड़े है. यह काम कम खर्च में बगेर कोई आन्दोलन किये संपन्न हो रहा है. इसे सहेजने में राष्ट्रीय रेडियो स्टेशन के अलावा निजी स्टूडियो ने भी विशेष रूचि दिखाई और समय समय पर ओल्ड -इस -गोल्ड नाम से संगीत जारी कर काफी धन कमाया है .
इस तथ्य से इनकार नहीं है कि पुरानी और क्लासिक फिल्मो के प्रिंट को डिजिटल करने का काम काफी खर्चीला है , परन्तु टेड टर्नर जेसे मीडिया सम्राट के लिए यह काम आसान है.उन्होंने अमेरिका में 1939 से लेकर ब्लेक एंड व्हाईट दौर कि अधिकाँश फिल्मो को सहेज कर अपने टेलीविजन पर प्रसारित किया है और कुछ फिल्मो को रंगीन करने की आलोचना भी झेली है.
हमारे देश के प्रमुख औद्योगिक घरानों ने भी पिछले कुछ समय से फिल्मो को व्यापार के रूप में लेना शुरू किया है . अनिल अम्बानी ग्रुप , सन टीवी , आदि विशेष रूप से सक्रिय है , परन्तु इनका भी रुझान फिल्म निर्माण और फिल्मो के लिए वित्त उपलब्ध करने तक ही है .कुछ लोग अवश्य टेलीविजन चेनल शुरू कर चुके है परन्तु वे मनोरंजक चेनल और न्यूज चेनल पर ही अटके हुए है
भारत के फिल्म प्रेमी दुआ ही कर सकते है कि टेड टर्नर का ध्यान इस तरफ जाए ..या हमारे अनिल अम्बानी , सुभास चन्द्रा या दयानिधि मारन को कुछ नया करने का जूनून आये .
(टेड टर्नर की मशहूर अभिनेत्री पत्नी जेन फोंडा ने अस्सी के दशक में योग के माध्यम से अपना 'काया-कल्प ' किया था. अपना फिटनेस विडियो जारी करने वाली वे पहली स्टार थी. भारत में उनका अनुसरण कर निख़रने वाली सर्वप्रथम अभिनेत्री रेखा थी )

Monday, February 21, 2011

ओस्कर !!


ओस्कर समारोह महज एक हफ्ते दूर है. 27 फरवरी को लोस एंजल के कोडक थियेटर में होलीवूड के नाम चीन फिल्मकार रेड कारपेट पर अवतरित होंगे. यधपि ओस्कर सिर्फ अमरीकन फिल्मो को ही सम्मानित करने के लिए दिया जाता है , परन्तु सारी दुनिया टकटकी लगा कर इन पुरुस्कारों की घोषणा को अपने टेलीविजन सेट के जरिये देखती है. इस वर्ष होने वाला समारोह 83 वां होगा . चूँकि फिल्म निर्माण के हर वर्ग के लिए केटेगरी बनी हुई है , परन्तु फिर भी सबसे ज्यादा उत्सुकता 'बेस्ट फीचर फिल्म ' बेस्ट एक्टर' बेस्ट एक्ट्रेस ' को ही लेकर होती है .

ओस्कर के साथ सबसे अच्छी बात यह रही है कि इसकी विश्वश्नियता बरसो से बरकरार है. पक्षपात के आरोप न के बराबर लगे है . उसकी वजह है 5578 ओस्कर सदस्यों का निर्णायक मंडल. यह निर्णायक वोटिंग के जरिये अपनी राय ओस्कर अकादमी को बंद लिफाफों में समारोह से मात्र पांच दिन पूर्व भेजते है .

दुनिया भर कि फिल्मो को प्रोत्साहित करने के लिए 'फोरेन लंगुएज फिल्म ' की एक कटेगरी अलग से बनाई गई है. इसमें हर वर्ष मात्र चार फिल्मो को अंतिम दौर के लिए चयनित किया जाता है . विदित हो, 'लगान' अंतिम चार में जगह बनाने के बाद भी ' नो मेंस लैंड' से शिकस्त खा गई थी.


इस वर्ष अच्छी फिल्मो की दौड़ में प्रमुख है ' द किंग्स स्पीच ' सोसल नेटवर्क ' ( फेसबुक के जनक मार्क जुकेर्बेर्ग के जीवन पर आधारित ) 'इंसेप्शन ' और 'ब्लेक स्वान'. 'ब्लेक स्वान'.रूस के बेलेट डांस पर आधारित फिल्म है. उलेखनीय है कि इस फिल्म के ओस्कर जीतने की सबसे ज्यादा प्राथना रूस में हो रही. जबकि एक ज़माने रूस- अमेरिका कट्टर दुश्मन रहे है .डेनी बोयेल जिन्होंने दो बरस पहले 'स्लम डोग मिलेनियर ' के जरिये धूम मचाई थी , इस बार हेरत अंगेज फिल्म '127 अवर 'लेकर हाजिर है . इस फिल्म को भी पांच श्रेणियों में नामांकित किया गया है.


3 किलो 850 ग्राम वजनी एवं 13 .5 इंच लम्बी सोने की इस प्रतिमा का जादू कुछ ऐसा है कि दुनिया के सारे फ़िल्मी पुरूस्कार इसके सामने फीके लगते है. जिसके भी हाथ में यह जाती है उसका फ़िल्मी करियर और जिन्दगी दोनों ही सुनहरे रास्ते पर चल पड़ती है .शायद इसीलिए इसे पुरुस्कारों का पितामह कहा जाता है .